आपातकाल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस)

भारत के राजनीतिक इतिहास में 1975-1977 के बीच की अवधि एक अंधकारमय दौर के रूप में दर्ज है, जिसे आपातकाल के नाम से जाना जाता है।  वह दौर था अधिनायकवाद का, तानाशाही का दौर था, लोकतंत्र की हत्या का दौर था, संविधान को खतरे का दौर था, संविधान बदलने का दौर था, नागरिक मूल अधिकारों… पढ़ना जारी रखें आपातकाल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस)

सरसंघचालक के उद्बोधन का दार्शनिक, सामाजिक परिप्रेक्ष्य

लेखन सम्पादन मनमोहन पुरोहित (मनुमहाराज) ( स्पस्टीकरण- हालांकि मेरी इतनी मति, योग्यता या क्षमता नही है कि मैं पूज्य सरसंघचालक जी के पूरे उद्बोधन का दार्शनिक परिप्रेक्ष्य को समझा सकूं फिरभी थोड़ा प्रयास करता हूँ। मुझे जितना समझ आया उतना प्रयास करता हूँ।)विकास वर्ग द्वितीय के समापन कार्यक्रम में सरसंघचालक जी का उद्बोधन महत्वपूर्ण दृष्टिकोण… पढ़ना जारी रखें सरसंघचालक के उद्बोधन का दार्शनिक, सामाजिक परिप्रेक्ष्य

‘मधु का श्री गुरूजी! बन जाना’

~कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल भारतीय संस्कृति में आक्रमण और वर्षों की परतन्त्रता के कारण कमजोर और दैन्य हो चुके हिन्दू समाज को संगठित करने के ध्येय से डॉ.हेडगेवार ने २७ सितम्बर सन् १९२५ विजयादशमी के दिन शक्ति की पूर्णता को मानकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गठन किया। जो हिन्दू समाज को सशक्त और सामर्थ्यवान बनाने तथा… पढ़ना जारी रखें ‘मधु का श्री गुरूजी! बन जाना’

देशभक्तों की सेना जगो

हे देशभक्तों की सेना,आज जागो सब कर गठबंधन।सुधारों की दो पहचान, बदलकर ये लूटपाट का कर्म। देश द्रोही हृदय जला रहे, करते भारत मां का अपमान।करो शंखनाद शठ विरुद्ध, तोड़ो इन मन-मन्त्रबंधों को। जहां मची भ्रष्टाचारी आग, वहीं सच की करो सुराखें।बेईमानी के क़िले गिरा दो, सत्यनिष्ठा से देश संभालें। देश तोड़को की फितरत बदली,… पढ़ना जारी रखें देशभक्तों की सेना जगो

कार्यकर्ता निर्माण में अटूट स्नेह की पद्धति के श्रेष्ठ वाहक थे स्व. हस्तीमल

कार्यकर्ता निर्माण में अटूट स्नेह की पद्धति के श्रेष्ठ वाहक थे स्व. हस्तीमल जी उदयपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी ने कहा कि संगठन में कार्यकर्ता महत्वपूर्ण इकाई है. कार्यकर्ता निर्माण में कार्यकर्ता की देखभाल ज्यादा महत्वपूर्ण है. कार्यकर्ता के संकट के समय तो तुरंत संभालना अति आवश्यक है. यह बात… पढ़ना जारी रखें कार्यकर्ता निर्माण में अटूट स्नेह की पद्धति के श्रेष्ठ वाहक थे स्व. हस्तीमल

देश में सब पर लागू होने वाली जनसंख्या नीति बननी चाहिए – दत्तात्रेय होसबाले

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ   19-Oct-2022 आरएसएस के सरकार्यवाह बोले, साल भर में बढ़ीं 6600 संघ की शाखाएं प्रयागराज, 19 अक्तूबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों के जनजातीय समुदाय के लोगों में भी स्वाभिमान जागरण के कारण ‘‘मैं भी हिन्दू हूँ’’ का बोध विकसित हुआ है। सरकार्यवाह जी आज प्रयागराज… पढ़ना जारी रखें देश में सब पर लागू होने वाली जनसंख्या नीति बननी चाहिए – दत्तात्रेय होसबाले

महान देशभक्त थे डा.हेडगेवार

डा हेडगेवार की बताई राह पर अग्रसर है संघ(डा हेडगेवार को उनकी पुण्यतिथि पर आज 21 जून को एक विनम्र श्रद्धांजलि)कृष्णमोहन झा/राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के यशस्वी संस्थापक डा केशव बलीराम हेडगेवार की आज पुण्यतिथि है। सन् 1940 में 21 जून को जब उन्होंने अंतिम सांस ली तब उनकी आयु मात्र 51 वर्ष थी । 1925… पढ़ना जारी रखें महान देशभक्त थे डा.हेडगेवार

कोई क्यों आपको बचाएगा?

प्रतिदिन एक तय स्थान और समय पर “मिलन” इसे हम शाखा कहते हैं।सप्ताह में एक दिन सभी शाखाओं का सामूहिक मिलन, इसे “एकत्रीकरण” कहते हैं।ये दोनों व्यवस्थाएं 1925 से हमारे पास हैं।मुख्यशिक्षक और गटनायक घर घर जाकर बुलाते हैं, आह्वान करते हैं, सम्पर्क करते हैं।मिलन के समय और स्थान मुहल्ले की सुविधानुसार तय होता है।जब… पढ़ना जारी रखें कोई क्यों आपको बचाएगा?

मोहन भागवत के बयान के क्या है मायने?

गुलामी का सबसे बड़ा दोष यही है कि वह अपने उत्तराधिकार में अविश्वास, अनिर्णय और द्वेषभावना जैसे विघातक घटकों को पल्लवित-पोषित करती है और परस्पर सद्भाव, सहकार और स्वीकार जैसे निर्माणकारी तत्वों को धीरे-धीरे मार देती है। विश्व के विभिन्न समाजों के तुलनात्मक ऐतिहासिक अध्ययन का निष्कर्ष भी यही कहता है। सहमति-असहमति किसी भी लोकतांत्रिक… पढ़ना जारी रखें मोहन भागवत के बयान के क्या है मायने?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना शताब्दी और हम

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना को वर्ष 2025 में 100 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं. 1925 में नागपुर में संघ स्थापना हुई थी. इस घटना को इस वर्ष 2022 की विजयादशमी को 97 वर्ष पूर्ण होंगे. संघ का कार्य किसी की कृपा से नहीं, केवल संघ के कार्यकर्ताओं के परिश्रम, त्याग, बलिदान के आधार पर… पढ़ना जारी रखें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना शताब्दी और हम

संघ ने क्या किया अब तक ?

देश के युवाओं में राष्ट्रीयता एवं सामाजिक समरसता का भाव जागृत करने में सफल रहा है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज पूरे विश्व में सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन बन गया है। वैश्विक स्तर पर कई देशों में तो संघ की कार्य पद्धति पर कई शोध कार्य किए जा रहे हैं कि किस प्रकार… पढ़ना जारी रखें संघ ने क्या किया अब तक ?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी क्या?

🚩!! संघ परिचय !!🚩 “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ” यह तीन शब्दों का एक समुच्चय है। (अ) राष्ट्रीय (ब) स्वयंसेवक (स) संघ (अ) राष्ट्रीय :- जिसकी अपने देश, उसकी संस्कृति, उसकी परम्पराओं, उसके महापुरुषों, उसकी सुरक्षा एवं समृद्धि के प्रति निष्ठा हो, जो देश के साथ पूर्ण रूप से भावनात्मक मूल्यों से जुड़ा हो अर्थात जिसको सुख-दुःख,… पढ़ना जारी रखें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी क्या?

100 करोड़ डोज और भारत की उभरती शक्ति

भारत के घिनौने विपक्ष द्वारा आपदा के समय भी घिनौनी राजनीति करने के बावजूद भारत के नेतृत्व ने विपक्ष के बेसुरे सवाल भारत को कौन देश वैक्सीन देगा? पर तमाचा मारते हुए भारत ने एक नहीं, बल्कि दो-दो वैक्सीन का निर्माण कर हर एक गाँव व शहर तक टीकाकरण के लिए जाल बिछा दिया। विपक्ष… पढ़ना जारी रखें 100 करोड़ डोज और भारत की उभरती शक्ति

RSS के प्रथमप्रचारक : बाबासाहब आप्टे

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रथम प्रचारक बने श्री उमाकांत केशव आप्टे जी को आज 28 अगस्त उनके जन्म-दिवस पर कोटि कोटि नमन 🙏🌹 28 अगस्त, 1903 को यवतमाल, महाराष्ट्र के एक निर्धन परिवार में जन्मे उमाकान्त केशव आप्टे का प्रारम्भिक जीवन बड़ी कठिनाइयों में बीता। 16 वर्ष की छोटी अवस्था में पिता का देहान्त होने… पढ़ना जारी रखें RSS के प्रथमप्रचारक : बाबासाहब आप्टे

आरएसएस खालिस व्यक्ति निर्माण

rss आरएसएस खेलते खेलते सभी प्रकार के आसन प्राणायाम योग आदि का लाभ मिल जाता है। यहां 40 से 65 वर्ष की आयु वाले प्रौढ़ों को खेलते हुए देखने का अपने आप में अलग ही आनंद अनुभव होता है। प्रौढ़ों के मुखमंडल पर बाल सुलभ मुस्कान, बच्चों की तरह विजिगीषु भाव, संघर्ष का भाव एक… पढ़ना जारी रखें आरएसएस खालिस व्यक्ति निर्माण