विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस 14 अगस्त 1947

विभाजनविभीषिकास्मृति_दिवस 14 अगस्त, 1947 की चीखें ! !! रावलपिंडी के समीप हिन्दुओं का एक छोटा-सा गांव था। 500 के लगभग वयस्क होंगे। बाकि बच्चे, बूढ़े। गांव के सरपंच रामलाल एक विशाल बरगद के नीचे बैठे थे। तभी मोहन भागता हुआ आया। बोला,” सरपंच जी, सरपंच जो।” सरपंच जी कहा ,”क्या हुआ मोहन ? “” सरपंच… पढ़ना जारी रखें विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस 14 अगस्त 1947

जोधपुर में दंगे और जालोरी गेट चौराहा

जालोरी गेट चौराहे पर जिनकी प्रतिमा है, कौन थे वे बालमुकुंद बिस्सा? जोधपुर का जालोरी गेट चौराहा क्या है:-जालोरी गेट चौराहे का इतिहास क्या है?जोधपुर.वर्ष 1908 में नागौर के पीलवा गांव में एक साधारण पुष्करणा ब्राह्मण परिवार में जन्में बालमुकुंद बिस्सा की प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता में हुई। बंगाल के क्रांतिकारियों व स्वतंत्रता के लिए संघर्ष… पढ़ना जारी रखें जोधपुर में दंगे और जालोरी गेट चौराहा

आग उगलते धोरों के और  लपलपाती लू के बीच क्रांति की मशाल जलाने वाले थे सागरमल गोपा।।

दिल्ली से दूर पश्चिम की ओर वर्तमान में भारत की पश्चिमी सीमा जैसलमेर, जो उस समय सिंध पंजाब काबुल से व्यापार के मार्ग का बीच पड़ाव था, के थार मरुस्थल के तपते रेतीले धोरों पर से झुलसाती हुई लू के थपेड़ों के बीच जिसने क्रांति की लौ जलाई वे थे अमर बलिदानी सागरमल गोपा। सागरमल… पढ़ना जारी रखें आग उगलते धोरों के और  लपलपाती लू के बीच क्रांति की मशाल जलाने वाले थे सागरमल गोपा।।