1 जुलाई 2024 से भारत में प्रभावी होंगे ये 3 कानून

भारत में 1 जुलाई 2024 से दण्ड प्रक्रिया का स्थान लेगी न्याय प्रक्रिया
भारतीय न्याय प्रणाली में सुधार के रूप में 1 जुलाई 2024 से तीन नए आपराधिक कानून लागू होने जा रहे हैं:
• भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Justice Code – BJC),
• भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Bharatiya Evidence Act – BEA),
• भारतीय दंड संहिता (Bharatiya Penal Code – BPC)।
ये कानून भारतीय न्याय प्रणाली को आधुनिक, प्रभावी, और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से लागू किए जा रहे हैं। नए आपराधिक कानूनों की जरूरत और भारत सरकार द्वारा इस दिशा में उठाए गए कदमों के पीछे कई प्रमुख कारण रहे हैं इन्हें जानना आवश्यक है।

पुराने कानूनों की अप्रासंगिकता: भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC), और साक्ष्य अधिनियम (Evidence Act) जैसी प्रमुख कानूनी व्यवस्थाएँ 19वीं सदी में बनाई गई थीं। समय के साथ, ये कानून समाज और अपराध की बदलती प्रकृति के साथ तालमेल नहीं बिठा पाए।

तकनीकी और सामाजिक परिवर्तन: आधुनिक तकनीकी और साइबर अपराध, आर्थिक अपराध, और अन्य नई चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए पुराने कानून अपर्याप्त हो गए थे।

न्याय में देरी: पुराने कानूनों के कारण न्याय प्रक्रिया में देरी होती थी, जिससे न्यायिक प्रणाली पर बोझ बढ़ता जा रहा था और पीड़ितों को समय पर न्याय नहीं मिल पा रहा था।

मानवाधिकार संरक्षण: नए कानूनों का उद्देश्य मानवाधिकारों की बेहतर सुरक्षा, पुलिस और न्यायपालिका की जवाबदेही बढ़ाना, और अधिक पारदर्शिता लाना है।

अंतर्राष्ट्रीय मानक: भारत के कानूनों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों और सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप बनाने के लिए बदलाव आवश्यक थे।

  • भारत सरकार द्वारा ये कदम उठाने के कारण:
  • 1) राजनीतिक संकल्प: मोदी सरकार ने कानूनी और न्यायिक सुधारों को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया है, ताकि न्याय प्रणाली अधिक प्रभावी और त्वरित हो सके।
  • 2) आर्थिक विकास: आर्थिक अपराध और धोखाधड़ी से निपटने के लिए मजबूत कानूनी ढांचे की आवश्यकता है, जो निवेशकों का विश्वास बढ़ा सके और आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सके।
  • 3) सुरक्षा और कानून व्यवस्था: अपराध दर को नियंत्रित करने और देश की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए प्रभावी कानून आवश्यक हैं।
  • 4) नागरिकों का विश्वास: न्याय प्रणाली में नागरिकों का विश्वास बढ़ाने के लिए कानूनों में सुधार करना आवश्यक था।
  • 5) अंतर्राष्ट्रीय छवि: भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि को बेहतर बनाने और वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए आधुनिक और प्रगतिशील कानूनी ढांचे का होना जरूरी है। इन कारणों के चलते मोदी सरकार ने नए आपराधिक कानूनों को लागू करने के कदम उठाए हैं, ताकि भारतीय न्यायिक प्रणाली अधिक सशक्त, प्रभावी और प्रगतिशील बन सके।

आइए एक एक करके तीनो कानूनों के नए और पुराने रूप में कुछ भिन्नता समानता के साथ आम नागरिक के हित की बातें तलाशते हुए कुछ धाराओं को भी जानने की कोशिश करते है।

1. भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Justice Code – BJC) पुराने कानून: भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code – IPC) 1860

अंतर और समानता: IPC 1860

ब्रिटिश काल में बनाई गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश हितों की रक्षा करना था। यह कानून भारतीय समाज के बदलते परिवेश और आधुनिक तकनीक युग के अनुरूप नहीं था।

इसके विपरीत, BJC को आधुनिक भारत के सामाजिक, आर्थिक, और तकनीकी परिवर्तनों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसमें साइबर अपराध, धनशोधन, और संगठित अपराधों के खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान है।

फायदे:

साइबर अपराधों के लिए स्पष्ट और कठोर सजा: BJC में साइबर अपराधों के लिए स्पष्ट और कठोर सजा का प्रावधान किया गया है, जिससे ऑनलाइन धोखाधड़ी, हैकिंग, और डेटा चोरी के मामलों में तेजी से कार्रवाई हो सकेगी।

धनशोधन और संगठित अपराधों पर कड़ी कार्रवाई: नए कानून में धनशोधन और संगठित अपराधों के खिलाफ सख्त प्रावधान हैं, जिससे अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई की जा सकेगी और अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाई जा सकेगी।

महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों में सख्त सजा: महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए कठोर सजा का प्रावधान किया गया है, जिससे समाज में उनके खिलाफ होने वाले अपराधों में कमी आएगी।

नई जोड़ी गई धाराएं और हटाई गई धाराएं: नई जोड़ी गई धाराएं:

साइबर अपराध (धारा 500A): साइबर धोखाधड़ी, हैकिंग, और डेटा चोरी के खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान।

धनशोधन (धारा 400B): धनशोधन के मामलों में सख्त सजा और जुर्माने का प्रावधान।

संगठित अपराध (धारा 407A): संगठित अपराधों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और सजा का प्रावधान।

महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा (धारा 376B): महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा के मामलों में कठोर सजा का प्रावधान।

ड्रग्स और नशीली दवाओं का व्यापार (धारा 410A): ड्रग्स और नशीली दवाओं के व्यापार में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और सजा का प्रावधान।

हटाई गई धाराएं:

राजद्रोह (धारा 124A): राजद्रोह की धारा को हटाकर इसे और स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है ताकि इसका दुरुपयोग न हो सके।

धर्म आधारित विभाजन (धारा 295A): इस धारा को हटाकर इसे और स्पष्ट और समग्र बनाया गया है ताकि समाज में साम्प्रदायिक सौहार्द बना रहे।

छोटी-मोटी चोरी (धारा 379): छोटी-मोटी चोरी के मामलों में सुधारात्मक न्याय का प्रावधान, जिससे अपराधियों को पुनर्वासित किया जा सके।

धमकी और जबरदस्ती (धारा 506): इस धारा को हटाकर इसे और स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है ताकि धमकी और जबरदस्ती के मामलों में सटीक न्याय हो सके।

2. भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Bharatiya Evidence Act – BEA) पुराने कानून: भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) 1872

अंतर और समानता: BEA 1872 में लिखित, मौखिक और वस्तु प्रमाणों के प्रावधान थे, लेकिन डिजिटल प्रमाणों के संबंध में कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं थे। नए BEA में डिजिटल प्रमाणों को मान्यता दी गई है और अदालतों में उनकी स्वीकृति को आसान बनाया गया है।

फायदे:

डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणों की स्वीकार्यता: नए कानून में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणों को मान्यता दी गई है, जिससे साइबर अपराधों से संबंधित मामलों में साक्ष्यों को मान्यता देना और न्याय प्रक्रिया तेज और प्रभावी बनाना संभव हो सकेगा।

महिलाओं और बच्चों के मामलों में गोपनीयता और संवेदनशीलता: नए कानून में महिलाओं और बच्चों के मामलों में गोपनीयता और संवेदनशीलता का विशेष ध्यान रखा गया है, जिससे पीड़ितों को बेहतर सुरक्षा और सम्मान मिलेगा।

नई जोड़ी गई और हटाई गई धाराओं के उदाहरण:

नई धारा 65B: डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणों की स्वीकृति के लिए। पूर्व धारा: इस धारा का कोई प्रावधान नहीं था, जिससे डिजिटल प्रमाणों की स्वीकृति कठिन हो जाती थी।

धारा 53A: बलात्कार के मामलों में पीड़िता के पूर्व यौन आचरण को अप्रासंगिक घोषित करना। पूर्व धारा: यह प्रावधान पुराने अधिनियम में नहीं था, जिससे पीड़िता के चरित्र पर आक्षेप लगाने की संभावना रहती थी।

धारा 119: दृष्टिहीन, बधिर, मूक व्यक्तियों के साक्ष्य को रिकॉर्ड करने की व्यवस्था। पूर्व धारा: दृष्टिहीन, बधिर, मूक व्यक्तियों के साक्ष्य को रिकॉर्ड करने का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था।

धारा 114A: बलात्कार के मामलों में अभियुक्त की दोषमुक्ति के लिए पीड़िता की सहमति के अभाव का प्रावधान। पूर्व धारा: यह प्रावधान पुराने अधिनियम में नहीं था, जिससे पीड़िता की सहमति के अभाव को साबित करना कठिन हो जाता था।

धारा 27: पुलिस द्वारा दिए गए बयानों की स्वीकृति केवल उस सीमा तक जो साक्ष्य की खोज से संबंधित हो। पूर्व धारा: पुलिस द्वारा दिए गए सभी बयानों को साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जाता था, जिससे आरोपियों को गलत तरीके से फंसाने की संभावना रहती थी।

3. भारतीय दंड संहिता (Bharatiya Penal Code – BPC)

इसमें नए और पुराने कानूनों के अंतर और समानताओं पर चर्चा करते समय, कुछ प्रमुख धाराओं के उदाहरण देते हुए विस्तार से देख सकते हैं। BPC और CrPC का अंतर और समानता: पुराने कानून: भारतीय आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code – CrPC) 1973 में अपराधों की जांच और अभियोजन के प्रावधान थे, लेकिन नई परिस्थितियों में उसके कई प्रावधान अप्रासंगिक हो गए थे। नए कानून: नए BPC में अपराधों की जांच और अभियोजन के लिए आधुनिक तकनीकों का समावेश किया गया है।

नए BPC के फायदे: डिजिटल और फॉरेंसिक तकनीकों का समावेश: उदाहरण: साइबर अपराधों की जांच में डिजिटल फॉरेंसिक के उपयोग के लिए नई धारा 66F (Cyber Terrorism) शामिल की गई है, जो डिजिटल उपकरणों और इंटरनेट के माध्यम से आतंकवादी गतिविधियों को कवर करती है।

मामलों की त्वरित सुनवाई: उदाहरण: धारा 309 (Attempt to Commit Suicide) को हटाकर, मानसिक स्वास्थ्य और पुनर्वास पर जोर दिया गया है, जिससे अदालतों में समय की बचत होगी।

पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा: उदाहरण: नई धारा 376 (Rape) में सख्त सजा का प्रावधान है, जो पीड़ितों को त्वरित और कठोर न्याय दिलाने में सहायक होगी।

आम इंसान के लिए समझने योग्य बातें:

साइबर अपराध: धारा 66C (Identity Theft): अब ऑनलाइन धोखाधड़ी, हैकिंग, और डेटा चोरी के मामलों में सख्त सजा का प्रावधान है। महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा: धारा 354D (Stalking): महिलाओं के खिलाफ छेड़खानी और पीछा करने के अपराधों के लिए कठोर सजा का प्रावधान है। धारा 375 (Rape): बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के लिए पोक्सो (Protection of Children from Sexual Offences) एक्ट के तहत कठोर प्रावधान शामिल किए गए हैं। प्रमाणों की स्वीकृति: धारा 65B (Admissibility of Electronic Records): डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणों की स्वीकृति से अदालतों में मामलों का निपटारा जल्दी हो सकेगा। संगठित अपराध और धनशोधन: धारा 400 (Gang Robbery): संगठित अपराध के खिलाफ सख्त प्रावधान हैं, जिससे अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई की जा सकेगी। धारा 3 (Money Laundering): धनशोधन के मामलों में कठोर सजा का प्रावधान है, जिससे अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाई जा सकेगी।

नई जोड़ी गई और हटाई गई धाराओं के उदाहरण: नई जोड़ी गई धाराएँ: धारा 66F (Cyber Terrorism): साइबर आतंकवाद के खिलाफ सख्त प्रावधान। धारा 354D (Stalking): महिलाओं के खिलाफ छेड़खानी और पीछा करने के अपराधों के लिए कठोर सजा।

हटाई गई धाराएँ: धारा 309 (Attempt to Commit Suicide): अब आत्महत्या के प्रयास को अपराध नहीं माना जाएगा। धारा 497 (Adultery): व्यभिचार को अब अपराध नहीं माना जाएगा, बल्कि इसे विवाह संबंधी समस्या माना जाएगा। इस प्रकार, नए IPC में अपराधों की जांच और अभियोजन के लिए आधुनिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया गया है, जिससे न्याय प्रक्रिया अधिक प्रभावी और त्वरित होगी।

manumaharaj द्धारा

Writer, Speaker,

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