चीन के प्रति भारतीय नीति: 2014 से पहले और बाद का बदलाव

भारतीय नेतृत्व और चीन के प्रति उसकी नीति में 2014 से पहले और बाद के बदलाव को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। 1947 से 2014 तक, विशेष रूप से कांग्रेस नेतृत्व के दौरान, भारत का रुख चीन के प्रति काफी संकोचपूर्ण और भयभीत था। पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर डॉ. मनमोहन सिंह तक के नेतृत्व में, भारत चीन के साथ अपने संबंधों में अक्सर झुकता हुआ दिखाई देता था।

उदाहरणस्वरूप, 2004 से 2014 के बीच डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में, जब भी प्रधानमंत्री कार्यालय से अरुणाचल प्रदेश के कार्यक्रम की घोषणा होती, चीन तुरंत ही चेतावनी भरी विज्ञप्ति जारी कर देता कि अरुणाचल प्रदेश चीन का हिस्सा है और भारतीय प्रधानमंत्री को चीन की स्वीकृति के बिना वहाँ की यात्रा नहीं करनी चाहिए। इस प्रकार की धमकियों के सामने भारतीय सरकार की प्रतिक्रिया अत्यंत शर्मनाक होती थी। अक्सर, प्रधानमंत्री की अरुणाचल प्रदेश यात्रा “अपरिहार्य कारणों से” रद्द कर दी जाती थी।

हालांकि, 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से, भारत की नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखा गया है। नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर राज्यों में 60 बार यात्राएं की हैं और चीन की धमकियों को नजरअंदाज करते हुए सीमावर्ती क्षेत्रों में निर्माण कार्य भी कराए हैं। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि “चीनी माल की तरह चीन की धमकियाँ भी खोखली होती हैं।”

मोदी सरकार ने चीन की धमकियों को दरकिनार करते हुए सीमा क्षेत्रों में निर्माण कार्य भी किए हैं। हाल ही के लोकसभा चुनाव में मोदी की तीसरी बार जीत पर ताइवान के राष्ट्रपति द्वारा मोदी को बधाई देने पर चीन ने नाराजगी प्रकट की थी। चीन ने कहा कि ताइवान चीन का हिस्सा है, इसलिए ताइवान के राष्ट्रपति की बधाई का कोई अर्थ नहीं है। मोदी ने तुरंत ताइवान की बधाई पर धन्यवाद देकर चीन की बोलती बंद कर दी।

इसके अलावा, बांग्लादेश की तीस्ता नदी के संरक्षण और प्रबंधन हेतु एक बड़ी योजना चीन हड़पना चाहता था। लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दृढ़ता दिखाकर यह सौदा अपने पक्ष में कर चीन को हाथ मलने पर मजबूर कर दिया।

निष्कर्षतः, 2014 के बाद से भारतीय नेतृत्व की नीति में एक बड़ा बदलाव आया है, जो न केवल चीन के प्रति बल्कि अन्य पड़ोसी देशों के प्रति भी दृढ़ और आत्मविश्वासपूर्ण है। मोदी सरकार ने चीन की धमकियों को दरकिनार करते हुए अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखा है, जिससे पड़ोसी देशों में भी चीन की धमक फीकी पड़ने लगी है।

manumaharaj द्धारा

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